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कोरोना और टिड्डी दल के हमले से असल में कैसे निपट रहा है पडोसी देश?

अब तक तो आप मीडिया में पाकिस्तान के बारे में ख़बरें पढ़ और सुन-सुन कर पक ही चुके होंगे, लेकिन जब भी हमारा मीडिया किसी चीज़ के पीछे हाथ धो कर पड़ता है तो न जाने क्यूँ अपने-आप ही हमारा दिमाग उसकी उलटी तरफ जाने लगता है। इसलिए जाने क्यूँ हमने सोचा कि क्यों न असलियत की पड़ताल की जाए।


सबसे पहले ये जान लेते है कि आखिर ये टिड्डी दल का हमला है क्या?


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टिड्डी या Locust रेगिस्तान में पैदा होने वाला एक छोटा सा उड़ने वाला कीड़ा है जो अक्सर ग्रुप में उड़ान भरता है और एक दिन में अपने वजन के बराबर खाना खा सकता है। इसका खाना आम तौर पर हरी फसलें और पेड़ों के पत्ते होते है।



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सुनने में ये भले ही छोटी बात लगे लेकिन असल में ये किसी बड़ी आफत से जरा भी कम नहीं होते, इनके एक एक झुण्ड में करोडो टिड्डे हो सकते है, अब सोच लो कि एक टिड्डा एक दिन में 5 ग्राम हरियाली भाई खायेगा तो एक दिन में कितना नुकसान होगा?


  • इनका साइज़ 2 से 2.5 इंच तक होता है।

  • ये एक दिन में 200 किमी तक का सफ़र तय कर सकते है, जब ये एक साथ उड़ते है तो ऐसा लगता है जैसे बदल छा गये हो।

  • आम तौर पर इनके झुण्ड का साइज़ 10 से 15 किलोमीटर तक हो सकता है और ये दिन में खाना खाते और उड़ते हैं जबकि शाम में सब एक जगह बैठ कर आराम करते है।

  • ये अक्सर रेगिस्तानी इलाकों में पैदा होते है और जहाँ से एक बार इनका झुण्ड निकल जाता है वहां ऐसा लगता है जेसे ये खेत नहीं बंजर था।

  • इन्हें रोकने के लिए इनकी पैदावार वाली जगहों पर लगातार छिडकाव किया जाता है लेकिन इस बार कोरोना के चलते स्टाफ शहरों में सेनेटायिज करने में लगा रहा और इन्हें बढ़ने के लिए मौका मिल गया।

  • इनकी उम्र केवल 90 दिन की होती है लेकिन ये इतने अंडे देते है कि मात्र 20 दिन में दुगने हो सकते है।

अब जाहिर है कि हमला इतना भयानक हो तो तय्यरियाँ भी तगड़ी होनी चाहिए।



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इसी के साथ कोरोना भी अपने चरम पर है, अगर आप ने हमारा कोरोना वाला आर्टिकल नहीं पढ़ा तो आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।


अपने देश में ये तय्यरियाँ किस तरफ फ़ैल हो गयी आप देख ही रहे है लेकिन पडोसी इनसे कैसे निपट रहा है वो जानने वाली बात है।


सबसे पहले तो पाकिस्तान ने कोरोना से बचने के लिए क्या किया आइये जानते है -


  1. वहां लॉक डाउन भले ही हमारे यहाँ से कम टाइम के लिए हुआ लेकिन उसे यहाँ से ज्यादा कामयाब माना गया क्यूंकि का हर एक करोड़ की आबादी पर मरीज मिलने का प्रतिशत भारत से कम है।

  2. वहां यहाँ से कमजोर आर्थिक हालत होने के बावजूद सारा ध्यान मेडिकल सुविधाओं पर दिया गया बजाय ताली और दिये के प्रोग्राम के।

  3. पाकिस्तान की आर्थिक हालत हमसे ख़राब है इसलिए ये कहना गलत न होगा कि अगर उन्होंने हमारे बराबर भी लड़ लिया तो तकनीकी रूप से उन्हें ज्यादा बेहतर शासक कहा जाएगा क्यूंकि उन्होंने कम संसाधनों में बराबर प्रदर्शन किया।

  4. लोक डाउन में अगर किसी का बिजली का बिल पाकिस्तानी 2000 रु से कम है तो वो माफ़ हो जायेगा और अगर इससे ज्यादा है तो किश्तों में भरने की पूरी छूट है। ये छूट गैस और बाकि सरकारी बिलों पर भी मिली है।

  5. मकान और दुकान मालिकों पर किराया मांगने कि मनाही है और मांगने पर जुर्माने और सजा का नियम लागू है, अगर कोई फिर भी किराया मांगता है तो आपको बस लोकल थाने को एक कॉल लगाना है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति केवल किराये पर निर्भर है तो उसे लोकल प्रशासन से अपील करने की भी छूट दी गयी है।

  6. बेरोजगर डेली लेबर को दौ हज़ार महीना दिया जाता था जिसे अब लॉक डाउन में 12000 और बढ़ा दिया गया है और साथ ही तीन महीने का एडवांस सबके खाते में दाल दिया गया है। जो लोग इस में रजिस्टर्ड नहीं हैं उन्हें रजिस्ट्रेशन के नियमों में छूट दी गयी है। अब जानिये की उन्होंने आपदा को अवसर में कैसे बदला -

  7. ये आप सब जानते है कि अगर सरकार का खजाना खाली हो जाता है तो जनता उसे टैक्स के जरिये आने वाले वक़्त में भर सकती है लेकिन अगर जनता का हाथ खाली है तो सरकार के लिए बहुत मुश्किल है इसीलिए उनकी तमाम कोशिशे सरकारी खजाने को बढ़ाने के बजाये जनता के हाथ में पैसा पहुँचाने की हैं, इसीलिए हमारा मीडिया उनके खाली खजाने का ढोल पीटता है लेकिन जनता की हालत कभी नहीं बताता।

  8. टिड्डी दल के हमले के समय जब ये सरकार के पास पूरे संसाधन नहीं थे तो ऐलान कर दिया गया कि सरकार मरे हुए टिड्डों को 12 रु किलो खरीद रही है, अब टिड्डे मारने का काम सरकार के बजे जनता ने शुरू कर दिया और सरकार ने बिना हाथ पैर हिलाए टिड्डों के हमलों को बेअसर कर दिया और साथ ही बेरोजगार लोगों के हाथ में पैसा भी पहुंचा दिया जो इकॉनमी को चलाने के लिए सबसे जरूरी है।(यदि आप इस इकॉनमी को उबारने की हेलिकोप्तर मनी तकनीक को नहीं जानते तो यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते है)

  9. इन मरे हुए टिड्डों से सरकार ने मुर्गों का खाना बनाना शुरू कर दिया जो आम खाने से 25% ज्यादा पोष्टिक होता है। और इस खाने को सरकार ने पोल्ट्री फार्म वालों को बेचना शुरु कर दिया है।

  10. एक तरफ सरकार ने निचले तबके तक मदद और रोजगार दोनों पहुंचा दिए तो साथ ही टिड्डियों से होने वाले नुक्सान और कीटनाशक के करोड़ों के खर्च और मरे हुए टिड्डों से जान बचाने में कामयाबी हासिल कर ली है और साथ ही मुनाफा भी ले लिया।

  11. साथ ही सरकार ने हदीस का हवाला देकर ये ऐलान करवा दिया है कि टिड्डा खाना हलाल है सो जनता ने कुन्तलों टिड्डे बिरयानी के साथ ख़त्म कर दिए। गौरतलब है कि टिड्डा खाना हदीस से साबित है और मेडिकल दृष्टि से भी ये लाभदायक है, टिड्डा एक पोषक जीव है जिसके खाने से कोलोस्ट्रोल घटता है और लीवर भी मजबूत होता है।


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जाहिर है कि इमरान खान की सरकार ने इस महामारी के दौर में भी एक सच्चा मास्टर स्ट्रोक खेल लिया है और साथ ही अपनी इकॉनोमी को रास्ते पर लाने की राह आसान कर दी है।


वहीँ हमारे यहाँ तो अभी सरकार की नीतियां ही साफ़ नहीं है, डॉक्टर तक सेफ नहीं है आगे तो बात क्या की जाए, कुछ भी कह पाना मुमकिन नहीं है।


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