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क्या रूस की कीमत पर भारत को यूक्रेन की मदद करनी चाहिए?

Updated: Apr 29, 2024

नहीं , इसके कई कारण हैं ।


१. भारत अभी भी आधे से ज्यादा अपने हथियार रूस से लेता है और कई जगह टेक्नोलॉजी भी रूस ट्रांसफर करता है और भारत के साथ मिलकर काम करता है जैसे ब्रह्मोस पर किया है तो इन हथियारों की सर्विस और पार्ट्स के लिए लॉन्ग टर्म में रूस की हमें जरूरत रहेगी ।


२. रूस चीन और इंडिया के बीच एक बफर स्टेट की तरह युद्ध काल में काम आ सकता है ।


३. रूस कश्मीर मुद्दे पर हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है और आगे भी हमें उसकी जरूरत होगी ।


४. कई बार रूस ने भारत के पक्ष में आकर भारत को यूएन में समर्थन किया है चाहे तो ७१ हो या ३७० का मामला ।


वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन है जिसने कश्मीर मुद्दे पर यूएन के इंटरवेंशन के लिए भारत के खिलाफ वोट किया और परमाणु परीक्षण की निंदा की और पाकिस्तान को टैंक बेचे ।


ऐसे में इंडिया नहीं चाहता कि युद्ध हो और उसने युद्ध की निंदा की है और रूस यूक्रेन से युद्ध रोकने की बात की है सिक्योरिटी काउंसिल में और अपना स्टैंड न्यूट्रल रखा है जो कि एक सही निर्णय है ।[1]

बाकि दुनिया ने जब चीन ने डोकलम और गलवन हुआ तो कोई एंटी चीन रिजॉल्यूशन पास नहीं करवाया और पश्चिमी देश मुंह में दही जमाए बैठे रहे क्योंकि उन्हें अपनी सप्लायचेन के रुकने का डर था लेकिन अब वो ही भारत पर दबाव बना रहे हैं ।


क्या जरूरत थी एयू को एक्सपैंड करने की ? क्यों वो यूक्रेन को शामिल करने पर जोर दे रहे थे और वो किसे टारगेट करना चाहते थे ?


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