आखिर ऐसे हालात में अमेरिका के एलियंस वाले विडियो का क्या मतलब है? क्या एलियंस सच में होते है??
- TheoVerseMinds

- Apr 29, 2020
- 11 min read
दोस्तों क्या आप भी उन लोगो में से हैं जिन्हें एलियन शब्द कानों में जाते है बदन में एक रोमांच की लहर महसूस होती है और एक अलग दुनिया के अलग नसल क नक्शा दिमाग में घूम जाता है। ऐसे लोग जिनके सामने हमारी दुनिया की टेक्नोलॉजी किसी बच्चे के खिलोने से ज्यादा कुछ भी नही। जिनके पास ऐसे जहाज़ है जो पलक झपकते है कई किलोमीटर का सफ़र तय कर लेते हैं, जो जमीन स्पेस और पानी में बराबर चल सकते है। जो एक झटके में किसी भी इलाके के बिजली का सिस्टम खत्म कर सकते हैं और किसी को भी ख़ास किरण डाल कर अपने अन्दर खीच सकते हैं। हमारा यहाँ तो जब तक लोहे को दो पंख न लगे वो उड़ नहीं सकता, और स्पेस में जाने के लिए हमे दूसरी तरह का यान बनाना पड़ता है लेकिन वो सिर्फ स्पेस में उड़ सकता है हवा में नहीं, और ये दोनों मिल कर पानी में बेकार हैं और उसके लिए पनडुब्बी बनानी पड़ती है।

कभी न कभी तो मन में ये ख्याल आया ही होगा की ये सब असल में होता भी है या बस ये दुनिया को भरमाने का होव्वा ही है? दोस्तों अगर आप भी इन्ही सब सवालों से परेशान है और साथ में ये सोच रहे हैं की आखिर अमेरिका के ख़ुफ़िया विभाग ने कोरोना के वक़्त में जब पूरी दुनिया महामारी से परेशान है तब तीन साल पुराना UFO का विडियो जारी करके क्यूँ हल्ला मचाया है तो चलिए आज आपको बताते है की आखिर इन एलियंस की असलियत क्या है। इस सवाल को हम दो पहलु में समझेंगे, पहले दुनियावी पहलू और दूसरा मजहबी पहलू।
अब सबसे पहले तो ध्यान देने वाली बात ये है कि किसी भी चीज़ की जड़ तक पहुँचने के लिए सबसे पहले उसकी शुरुआत को समझना पड़ेगा। UFO के बारे में पड़ताल करने पर हमें कुछ इस तरह के रिकॉर्ड देखने को मिलते हैं -
24 फरवरी 1942 - सबसे पहले दुनिया के इतिहास में लोगों ने आसमान में एक अजीबों गरीब तरीके की गोल गोल चीज़ें आसमान में मडराती हुई देखी जो गोल तश्तरी की शेप में थी, ऐसी कोई चीज़ न कभी पहले देखी गयी था न ही इसका जिक्र कभी कही पढ़ा या सुना गया था इसीलिए ये एक अजीब था। ये घटना अमेरिका के लोस एंजिलिस में हुई जब जापानी जहाजों ने अमेरिका में हमला कर दिया था, देखने वालो ने बताया की ऐसा महसूस हो रहा था की ये तश्तरियां जापानी जहाज़ों से लड़ने या उन्हें डराने की कोशिस कर रही थीं हालाँकि आमने सामने की लडाई जेसी कोई बात सामने नहीं आई, इस घटना को बैटल ऑफ लोस एंजिलिस के नाम से भी जाना जाता है। इस बारे में जानने वाली बात ये भी है की लोस एंजिलिस अमेरिका के खुफिया रिसर्च सेण्टर एरिया 51 से चाँद मिनटों की हवाई दूरी पर है इसलिए ये मान लेना गलत नहीं होगा की ये सारे जहाज़ या एलियन वहीँ से अचानक आये थे और वहीँ वापस चले गये।
24 जून 1947 - इसके चाँद महीने बाद वाशिंगटन के पास मौरी आइलैंड पर फ्रेड क्रिस्मेन और हेरोल्ड डाहल नाम के दो लोगों ने आसमान से लड़खड़ा कर गिरती हुई दो चीज़ों की शिकायत की लेकिन ये इलाका मिलिट्री का है इसीलिए कोई बात बाहर न आ सकी।
21 जून 1948 - इसके तीन दिन बाद एक पायलट ने इसी इलाके में आसमान में नो चमकती हुई चीज़ें एक कतार में उडती हुई देखी और इसे वहां के अखबारों ने रिपोर्ट किया।
जुलाई 1948 और जनवरी 1949 - एक जहाज़ किसी अनजान चीज़ से आसमान में टकरा कर गिर गया, टकराने वाली चीज़ का खुलासा नहीं हुआ, हादसे में 25 वर्षीय कैप्टन थॉमस की मौत हो गयी, दूसरी घटना में न्यू मेक्सिको में कोई अनजानी चीज़ शहर के पास ख़राब हो कर गिर गयी, लोगों ने देखने की कोशिस की लेकीन सेना वहां पहुँच गयी और उसे वहां से हटा दिया। वहां के अख़बारों ने रिपोर्ट किया की लोगों में अफवाह है की सेना ने किसी चीज़ को जाल डाल उठाया था। ऊपर दी गयी सारी घटनाये और इसके अलावा बीस से ज्यादा घटनाये विकिपीडिया पर उपलब्ध हैं जिन्हें आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
1951 में अमेरिका के प्यूरिटो रिको एयरबेस पर तैनात एक फौजी ने प्रेस को नाम न बताने की शर्त पर बताया की अमेरिका के उस वक़्त के सीनेटर आईजन होवेर एक दिन बेस पर दिन के करीब 11 बजे आए और वहां पर उन्होंने अजीब तरह के इंसानों से चार घंटे तक मीटिंग की, बाद में प्रेस ने इस के बारे में होवेर से पूछा तो उन्होंने इस तरह की किसी भी मुलाकात से साफ़ इनकार कर दिया। गौरतलब है की इसके दो साल बाद होवेर अमेरिका के प्रेसिडेंट बने थे।
1952 में अमेरिका के केंद्रीय मंत्री डॉन केम्पबेल अपने प्राइवेट जेट से कहीं जा रहे तो उन्होंने अचानक प्रशांत महासागर में एक टापू पर एक बेस देखा जहाँ कायदे से रनवे बने हुए थे, कई लड़ाकू जहाज़ तैनात थे और साथ में कई उड़न तश्तरिया भी तैनात थी। केम्पबेल ने अमेरिकन एयरफोर्स से पूछा की आखिर ऐसा कैसे हो सकता है क्यूंकि अमेरिका ने अभी तक अपना कोई अड्डा बीच समंदर में नहीं बनाया है फिर ये कहा से आया, जिसके बाद उन्हें सीआईए की तरफ से एक चिट्ठी मिली जिसमें उन्हें इस बारे में बात न करने की सलाह दी गयी थी और कहा गया की अगर वो ऐसा करते हाँ तो उनकी जान भी जा सकती है, इसके बाद अमेरिकन सेनेट में काफी हंगामा मचा था लेकिन उन्हें नेशनल सिक्यूरिटी का हवाला देकर चुप करा दिया गया।
13 जुलाई से 28 जुलाई 1952 तक कई अजीब तरह की उड़न तश्तरियों ने वाइट हाउस के चक्कर सलामी देने के अंदाज में लगाए जिसके बाद अमेरिकन मीडिया में हंगामा मच गया और लोग मांग करने लगे की सरकार को इसकी जांच करने के बाद सच जनता के सामने रखना चहिये, लेकिन सरकार ने कोई जांच किये बिना इसे भी नेशनल सिक्यूरिटी का हवाला देकर दबा दिया और एक कदम और आगे बढ़ते हुए एलियंस के बारे में कोई रिपोर्टिंग करने को जुर्म करार दे दिया गया, पूछने पर बताया गया की लोग इस बारे में ज्यादा अफवाह फैला रहे हैं इसलिए इस मुद्दे का दबा रहना ही सही होगा, गौरतलब है की इस दौरान अमेरिका और सोवियत के बीच में कोल्ड वार अपने चरम पर था जिसमे सोवियत भारी पड़ रहा था और उसे कोई नयी चीज़ चहिए थी जिससे सोवियत के बढ़ते दबाव को कम किया जा सके।
साथ ही आपको बताते चलें कि वो कहावत तो अपने सुनी ही होगी की चोर हमेशा अपने घर से ही चोरी करनी सीखता है, एलियंस की बात करें तो आज तक ये इस्राएल या अमेरिका को छोड़ कर सिर्फ उन्ही हिस्सों में दिखाई दिए है जहां या तो इनमे से किसी एक का कब्ज़ा है या इन्हें कोई इंटरेस्ट है, बाकि दुनिया के देशों जेसे अफ्रीका या चाइना वगैरह में आपने एलियंस की कोई घटना आपने नहीं सुनी होगी, और अगर आपको शक है तो आप गूगल करके शक दूर कर सकते है। साथ ही कई ऐसे मुद्दे है जो ऊपर की तमाम घटनाओं को चाह कर भी इग्नोर नहीं करने देती है।
आखिर ऐसा क्यूँ है की दो हज़ार सालों के लिखित इतिहास और करोडो सालो के पुरातात्विक इतिहास में कहीं भी थोडा भी एलियंस का जिक्र नहीं मिलता, आखिर जब ये इतनी उन्नत सभ्यता हैं तो एक दिन में तो तरक्की नहीं की होगी पहले भी आते रहे होंगे और किसी न किसी ने देखा भी होगा और अगर देखा होगा तो लिखा होगा या चित्र भी बनाया होगा। और जेसे आज कई जगह एलियंस गिर जाते हैं तो जाहिर है पहले भी गिरे होगे तो आज तक कहीं तो कोई एलियन यान दबा हुआ मिलना चाहिए था क्यूंकि तब तो उन्हें उठाने के लिए कोई अमेरिका की सेना नहीं थी, डायनासोर के अंडे मिल गये पर एलियंस न मिले।
अगर वो वाकई इतने उन्नत है तो उनके यहाँ भी सरकारें होंगी, इकॉनमी होगी, मिशन सेट होते होंगे, उनमे पैसा लगता होगा, कोई मकसद होंगे, उन्हें भला धरती जैसे ग्रह पर क्या काम हो सकता है की 78 सालों से ऐसे ही मंडराते घूम रहे हैं और चलो उनका कोई मकसद यहाँ छुपा भी होगा तो वो उनके पास ऐसी टेक्नोलॉजी है कि वो अपने मतलब की चीज़ बिना किसी से पूछे हासिल कर लेंगे वो थोड़ी अमेरिका से डरेंगे या समझोता करेंगे। जाहिर है की मोल भाव खरीदने वाला करता है लूटने वाला नहीं।
अगर चलो वो आ भी गये तो अमेरिका ही क्यूँ? वो तो खुल कर किसी से भी बात करेंगे न, और क्यूँ चोरों की तरह अमेरिका के पल्लू में छुपते फिरेंगे वो खुल्ले ऐलान करेंगे न की उन्हें क्या चहिये।
उन्हें जो चाहिए क्या वो उन्हें इतने बड़े स्पेस में करोडो ग्रहों या एस्टेरोइड पर न मिला?
अमेरिका ने 1942 में प्रोजेक्ट ब्लू बुक शुरू किया था जिसका मकसद था ऐसे जहाज़ बनाना जो जापान और जर्मनी में पर हावी हो सके, इसका क्या हुआ? एक दो छिट पुट ख़बरों के अलावा इसका कोई जिक्र नहीं मिलता, हाँ अलबत्ता 1969 में इसके बंद होने की खबर जरूर आई। पर यहाँ ध्यान देने की बात है तब तक अमेरिका सेकंड वर्ल्ड वार पहले ही जीत चूका था और मून मिशन के साथ रूस से कोल्ड वार भी जीत ही लिया था।
आपने डिमांड और सप्लाई के बारे में बहुत पढ़ा होगा, यहाँ तो अगर मीडिया रिपोर्ट करने बैठे तो खूब TRP मिलेगी, तो फिर मीडिया इस पर क्यूँ बात नहीं करता उन्हें कौन रोकता है ? और आखिर क्यों साल में अनेकों फिल्मे इस टोपिक पर बनती हैं अगर ये टोपिक इतना ही बेकार है तो?
अब आखिरी बात, सारी ऊपर की चीज़ें हमने न चाहते हुए मान ली तो एक आखरी सवाल मन में रह जाता है। एक बात बताओ की अगर ऐसा कोई इन्सान या एलियन धरती पर आता है तो क्या उसके लिए हम कम ज्यादा है या वो सब को बराबर समझेंगे? जाहिर है की बाहर से आने वाले के लिए कौन बड़ा कौन छोटा वो तो सब को बराबर मानेंगे, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं है। यहाँ एलियंस अमेरिकी लड़ाकू जहाज़ों के साथ बाकायदा ड्रिल में हिस्सा लेते है जिसे कई बार लोगों से शूट भी किया है जिसमे से एक विडियो मैंने ऊपर लगा दी है आप देख सकते हैं।
हमने आज तक देशों के बीच में ड्रिल सुनी थी लेकिन अलग अलग दुनिया के देशों के बीच में ड्रिल पहली बार देखने को मिली है। लेकिन बात यहाँ तक नहीं रूकती, आप ये न कहिये की हो सकता है अमेरिकी जहाज़ तो यूँही कहीं जा रहे होंगे और उड़नतश्तरी उनके पीछे लग गयीं, वो सिर्फ साथ ड्रिल ही नहीं करते बल्कि अमेरिका के दुश्मनों पर हमला भी करते है जिस के कई सबूत विडियो के रूप में मोजूद हैं। जिनमे से अक्सर को फलस्तीन, अफगानिस्तान और सिरिया में शूट किया गया है। देखिये नीचे वाले विडियो -
अब ये तो मेरे भी समझ के बाहर है की आखिर कैसे किसी दूसरी दुनिया से आने वाले लोग किसी एक देश के साथ तो दोस्ताना रवैया अपनाते हैं तो दूसरों के साथ दुश्मनी निभाते हुए उन्हें मार डालते हैं। आखिर उन्हें ऐसा क्या लालच हो सकता है की वो किसी दूसरी दुनिया में आकर अमेरिका की जंग में हिस्सा ले रहे हैं?
चलिए यहाँ भी आप कह सकते है की हो सकता है वो ऐसे ही आये हो और हमला कर दिया हो, लेकिन आप गलत हैं, क्यूंकि एक तो कोई भी ऐसे ही हमला क्यूँ करेगा, दुसरे सिर्फ एक जगह ही हमला क्यूँ करेगा अमेरिका में उन्हें क्या डर था और उसी अमेरिका में उन्होंने जापानी जहाजों का पीछा क्यूँ किया? और सबसे आखिरी बात ये की आप ये वाला विडियो देखिये की किस तरह एक जगह पर अमेरिकी और तालिबानी दोनों है लेकिन वो तालिबान पर हमला कर रहे हैं और अमेरिकी बेफिक्र खड़े हुए विडियो बना रहे हैं जो बाद में किसी गलती से वायरल हो गया।
क्या आप मुझे सिर्फ एक वजह दे सकते है कि ऐसी कौनसी वजह हो सकती है कि एक ही जगह पर अमेरिकन और अफगान दोनों है मगर हमला सिर्फ अफगानों पर हो रहा है और अमेरिकी ऐसे विडियो बना रहे हैं जैसे बन्दर का तमाशा देख रहे हों, वैसे ह्यूमन बिहेवियर को मैंने जितना पढ़ा है उस हिसाब से तो एक नया इंसान किस नयी जगह पर जाकर दो इंसानों को देखे जिसमे से एक गाँव वाले लोग हों और दुसरे असलाह और टेंको के साथ फौजी तो वो आदमी फौजियों पर हमला करेगा क्यूंकि उनसे उन्हें खतरा हो सकता है। लेकिन यहाँ तो कुछ और ही मंजर है !
अब अगर आपको अब भी कोई शक है तो रुकिए क्यूंकि बात यहीं नहीं रूकती, अफगानिस्तान में कई जगह ये देखने को मिला की जब लडाई के दौरान राकेट लौन्चर या किसी और चीज़ से उड़न तश्तरी ख़राब हो कर गिर जाती थी तो अमेरिकी बाकायदा उन्हें लेने आते थे और और किसी भी हाल में उनका एक भी पार्ट जमीन पर सबूत के तौर पर नहीं छोड़ते थे।
देखिये ये विडियो -
उम्मीद करता हूँ की अब तक आपको समझ आ गया होगा की ये सारा मामला कुछ और अमेरिका की कुछ चाल है और आप अब ये समझने की कोशिस कर रहे हैं की मामला क्या है तो चलिए मैं आपको समझा देता हूँ।
इस तरह की ख़बरें इसीलिए सामने नहीं आ पाती क्यूंकि सारे मीडिया पर डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से अमेरिका और इजराइल का ही राज चलता है। मगर दूसरी तरफ इसका खौफ लोगों के मन में जिन्दा रहे और लोग ये मानते रहे की ऐसी कोई चीज़ होती है इसीलिए हर साल अनेकों फ़िल्में और कहानिया एलियंस पर रिलीज़ की जाती है और छोटी मोटी अपुष्ट खबरे भी मार्किट में छोड़ी जाती रहती है।
कांस्पीरेसी लेखकों का दावा है की ये एलियन और कुछ नही बल्कि अमेरिका का वन वर्ल्ड आर्डर कायम करने का आखिरी हथियार है जिससे पूरी दुनिया में सिर्फ एक सरकार हो और जिसके आगे पूरी दुनिया सर झुकाए। अगर ये सब आपको इतनी आसानी से समझ नहीं आया तो एक उदहारण देता हूँ -
आज भारत में ताक़तवर इंसान कौन है? जाहिर है की अमित शाह, उससे लड़ने की हिम्मत कौन करेगा। अब जरा सोचिये की एक दिन अचानक कोई ऐसा नेता सामने आता जाओ पहले ही झटके में अमित शाह को जेल में डाल देता है या मार देता है और बाकि सब को चुप करा देता है। अब ऐसे इंसान के सामने बोलने की हिम्मत कौन करेगा? जिसकी ताक़त इतनी है कि उसें सबसे ताकतवर खिलाडी को पहले दांव में चित्त कर दिया, जिसका न नाम पता है न ठिकाना, न उसकी ताक़त का अंदाज़ा है न कमजोरी का, न उसके काम करने का अंदाज़ कोई जानता है न लड़ने का, उससे कौन लडेगा।
ठीक इसी तरह अमेरिका ने एलियंस तैयार कर रखे है, किसी दिन अगर ऐसा लगा कि चाइना या कोरिया जेसा कोई देश अमेरिका से आगे निकल रहा है और अमेरिका अपना सुपर पॉवर वाला टाइटल खो रहा है तो अमेरिका पर एलियंस का एक भयानक हमला होगा जिसमे जाहिरी तौर पर अमेरिका को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया जायेगा लेकिन असलीयत में ज्यादा नुक्सान नहीं होगा, ठीक वैसे ही जैसे वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर का हमला अमेरिका ने खुद करवाया था। अब सोचो एक ऐसी ताक़त जिसका अंदाजा, जिसका तोड़ कोई नहीं जानता, जी हमारी दुनिया से है ही नहीं उनका मुकाबला कौन करेगा? वो भी तब जब उन्होंने पहले ही झटके में दुनिया के दरोगा कहलाने वाले देश को चित्त कर दिया तो भारत और चाइना उसके सामने क्या मजाल रखते हैं।
अब हर किसी के सामने दो ही रास्ते होगे सरेंडर या बर्बादी, और सरेंडर करते ही असली पॉवर उनके हाथ में चली जायेगी जो एलियंस के असली मालिक है।
अब दूसरा धार्मिक पहलू भी समझ लेते हैं -
दुनिया में आने वाली हर छोटी बड़ी मुसीबत या घटना का जिक्र हर धर्म में किसी न किसी रूप में मिल ही जाता है, क्या कोई बता सकता है की किसी की किताब में एलियंस का जिक्र मोजूद हो तो? और अगर नहीं है तो ये हवा से टपके है क्या?
मैंने कुरआन में जितना पढ़ा है उसके हिसाब से तो दो ही बातें सामने आती है -
दुनिया कायनात में जितनी भी नस्लें या जानदार है उनमे से शऊर केवल इंसान और जिन्न को दिया गया है, शऊर यानि सोचने समझने और फैसला लेने की क्षमता, और कुछ नया करने की जिज्ञासा। जब तीसरी कोई कौम हो ही नहीं सकती तो फिर एलियंस कहा से आये?
अब अगर आप भी यही सोच रहे हैं की एलियंस कहीं असल में जिन्न तो नहीं जिन्होंने अमेरिका से समझोता कर लिया है तो ऐसा नहीं है। क्यूंकि कुरआन में इंसान को अशरफुल मख्लूकात कहा गया है यानि तमाम जानदारो में सबसे बेहतर। मने हमसे बेहतर सोच और समझ कोई नहीं रखता। तो क्या इसका मतलब ये नहीं हुआ की जिन्न भले ही शऊर रखते हैं मगर हमसे ज्यादा नहीं, तो फिर ये कैसे मुमकिन है की एलियन हमसे हज़ार साल आगे की तकनीक रखते हैं।
जाहिर है की वो किसी दूसरी दुनिया के इन्सान नहीं बल्कि इसी दुनिया के ख़ुफ़िया प्रोजेक्ट है जिनके पायलट आम इन्सान न होकर ऐसे लोग होते है जिनकी शक्ल को जीन इंजीनियरिंग और सर्जरी से अजीब बना दिया जाता है जिससे वो अलग दिखे। और ये महारथी सिर्फ तब सामने लाये जाते है जब अमेरिका पर कोई बड़ी मुसीबत आ पड़ी हो। जेसे की अब कोरोना वायरस से चाइना के आगे निकलने की उम्मीद थी तो एक पुराना विडियो पब्लिक कर दिया गया वरना इस हालत में तीन साल पुराने मुर्दे को उखाड़ने का क्या तुक?

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