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काश वो बारिश फिर से आये एक बार !

बारिश......


कितना मजा आता है न नाम सुन कर ही,


जरूरी नहीं की बारिश हर किसी के लिए खुशियां लेकर ही आये लेकिन इतना तो है ही कि लगभग हर किसी के लिए बहार और सुकून लेकर आने वाला कोई मौसम है तो वो बरसात का है.


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श्रीमती जी के हाथ के पकोडे, ठंडी ठंडी फुहारें, गर्म गर्म चाय और बालकनी का नजारा।


लेकिन फिर भी ऐसा क्या है जो पहले की बरसात में हुआ करता था लेकिन अब हम उसे कही छोड़ आये है कही बिसरा कर चले आये है और यकीन मानिये जैसी वो बारिशें हुआ करती थी अब की बरसात में वो मजा कहाँ !


तो चलिए टीम जम्हूरियत की एक साल की लम्बी छुट्टी के बाद आज आपको ले चलते है इस बरसात के रूमानी मौसम में एक हसीं सफर पर !!!


वो बचपन की बारिश और कागज की नावें -


हम मोड़ पर हों लेकिन बचपन की यादे भूलना कहाँ आसान होता है... बचपन में हम अपने पुश्तैनी गाँव में रहा करते थे जहाँ पर बरसात के मौसम में जो चीज सबसे ज्यादा खाने को मिलती थी वो थी माँ की दांत की घर के अंदर ही रहो वरना बाहर बारिश लगने से जुकाम हो जायेगा। लेकिन बाल मन कहाँ मानता था और हम चोरी छुपे निकल जाते थे अपनी स्कूल की कॉपी से कागज लेकर अपनी शिपिंग कंपनी खोलने जिसमे सच में बहुत मजा आता था।

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और साथ में बरसात के मौसम में वो माँ के हाथ के टिकिये-पूड़े कौन भुला सकता है।


जिम कॉर्बेट की वो बरसात -


साल 2019 की बात है हम सभी साथी सह परिवार उत्तराखंड के जिम-कॉर्बेट नेशनल पार्क के मरचूला इलाक़े के एक रेसोर्र्ट में घूमने गए थे। ये रिसोर्ट जंगल के बीचों बीच पहाड़ के तलहटी में रामगंगा नदी के किनारे पर बना हुआ था।


पीछे खड़ा हुआ एक पहाड़, जिसके निचे एक टीले की चोटी पर बना हुआ जंगल रिसोर्ट, सामने पत्थरों से टकरा कर कल कल करके बहती ही रामगंगा नदी और उस पर बना हुआ शायद अंग्रेजों के ज़माने का एक पुराना लोहे का पल किसी रोमांटिक फिल्म के सेट की फीलिंग दे रहे थे।


इत्तेफ़ाक़ से जिस दिन हम वहां पहुंचे तो रास्ते में ही बदल घिर आये और झमाझम बारिश होना शुरू हो गयी. शुरू में तो लगा जैसे बारिश ने हमारा प्लान खराब कर दिया है लेकिन जब उस सुहान बरसात में हम सभी कॉटेज की बालकनी में चाय के साथ नदी का नजारा देखने बैठे तो जैसे याद ही नहीं रहा की हम यहां घूमने आये थे, उस बरसाती मौसम में हम वहां दो दिन तक रुके और यकीन मानिये बिना किसी घूमने फिरने के बरसात ने हमारा मूड ऐसे फ्रेश कर दिया मानों की जन्नत की सैर कर ली हो. पहाड़ों के पीछे से आते वो बादल, कल कल करके बहती हुई नदी, जंगल से आती पशु पक्षियों की आवाजें झमाझम पड़ती बारिश और बरसात में शायद खाली बैठे रिसोर्ट केव कूक के हाथ का वो टेस्टी खाना आज बी जब याद आता है चेहरे पर मुस्कान आ ही जाती है।

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वो चंडीगढ़ की फुहारें -


वो क्या होता है न कभी कभी जो आप प्लान नहीं भी करते हो वो हो जाता है, ऐसा ही कुछ हमारे साथ हुआ, हम ऑफिस के किसी काम से चंडीगढ़ के पास ज़िरकपुर गए थे जहाँ उस दिन बारिश हो रही थी। इत्तेफ़ाक़ से जिस मीटिंग के लिए हम वहां गए तो वो किसी इमरजेंसी के चलते कैंसिल हो गयी। बस फिर क्या था, हम तीनों दोस्त निकल पड़े ओपन रिक्शा में चण्डीगढ की सड़कों पर बिना किसी मकसद के, ज्यादा कुछ नहीं किया लेकिन है वो मस्तीगीरी का दिन याद रहेगा। चंडीगढ़ की उस ट्रिप की ज्यादा तस्वीरें तो नहीं है पर कुछ तस्वीर जी वापस होटल में आ कर हमने खिड़की के बहार की क्लिक की कर रहे है।

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मनाली को वो बारिश का मजा -


अक्टूबर - 2018 को एक बार फिर हमारी मित्र मंडली निकल पड़ी मनाली की तरफ हिमालय की गौद में मस्ती करने के लिए. मनाली पहुंचे तक तो सब कुछ नार्मल ही था। लेकिन जब अगले दिन हम मनाली से रोहतांग के लिए चढ़ने लगे तो हलकी हलकी बारिश शुरू हो गयी। और बस फिर क्या था...

पहाड़ के वो घुमावदार चढ़ाई वाले रास्ते, हलकी हलकी फुहारें, ठंडी ठंडी जंगली हवाएं, और जंगल की वो हरियाली, रास्ते में हम मैग्गी खाने के लिए मढ़ी के पास रुके। और उसके बाद ऊपर रोहतांग टॉप तक गए.



शायद वो हमारा अब तक का का बारिश का सबसे अच्छा एक्सपीरियंस था।


दोस्तों जिंदगी चलती रहती है और बारिशें भी आती जाती है लेकिन कभी कभी जिंदगी में में ऐसे लम्हे आते है जिन्हे भुला पाना नामुमकिन हो जाता है, उन्ही लम्हो को लाइब्रेरी में से चंद आपके साथ साझा किये है।



पसंद आया हो तो दोस्तो के साथ शेयर करना न भूलें, अगर आपके पास भी ऐसी कोई मीठी यादें है तो आप कमेंट में मेंशन कर सकते है, टीम जम्हूरियत उन्हें आपमें उन्हें आपके नाम के साथ अगले यादेँ आर्टिकल में जगह देगी।


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इसी के साथ लेते है आपसे अलविदा, मिलते है जम्हूरियत के अगले आर्टिकल में।


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